पीथमपुर में जहरीला कचरा जलाने के मामले में मध्य प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका की दायर

 जबलपुर
 नागरिक उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे और सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव ने यूनियन कार्बाइड कचरा निस्तारण मामले में एनजीटी भोपाल में याचिका दायर की है। यह याचिका शनिवार को दायर की गई, जिस पर शीघ्र सुनवाई की मांग की गई है।

उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट में पूर्व से दायर जनहित याचिका पर संज्ञान आधार पर सोमवार को सुनवाई निर्धारित है। इसके साथ इंदौर बेंच में दायर याचिका को संलग्न करके विचार किया जाएगा।

इधर सरकार कचरा जलाने हाईकोर्ट से मांगेगी समय

मध्य प्रदेश सरकार हाई कोर्ट में शपथ पत्र देकर यूनियन कार्बाइड के कचरे के निस्तारण के लिए समय मांगेगी। इसके लिए जन जागरण को आधार बनाया जाएगा। मुख्य सचिव अनुराग जैन ने बताया कि हम पूरी कवायद सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार ही कर रहे हैं।

हर स्तर पर संवाद किया जा रहा है ताकि किसी प्रकार के कोई भ्रम की स्थिति ना रहे। यूनियन कार्बाइड का भी 10 टन कचरा पूर्व में वहां जलाया जा चुका है और उसके जो निष्कर्ष निकलकर सामने आए थे वह सभी मानकों के अनुरूप थे तभी सुप्रीम कोर्ट ने आगे बढ़ाने के निर्देश दिए थे। अभी कचरा जलाने के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

इधर उपभोक्ता मंच के नाजपांडे ने अपनी एनजीटी की याचिका में सवाल उठाया है कि यूनियन कार्बाइड कचरे के निस्तारण में नुकसान नहीं होगा, यह सरकार स्पष्ट करे।
यह भी बताए कि

कया कार्यवाही नियमानुसार हुई है? सरकार इस सिलसिले में शपथपत्र प्रस्तुत करे। वैज्ञानिक रिपोर्ट भी सार्वजनिक करे। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल इस संबंध में निर्देश जारी करें।

शपथपत्र के साथ घोषणा करें

युनियन कार्बाइड के जहरीले कुचरे के निस्तारण मे भूमि, जल तथा वायु में कोई विपरीत परिणाम नहीं होगा तथा वेस्ट मैनेजमेंट नियम 2016 का पालन हुआ, यह शपथपत्र के साथ मुख्य सचिव, मप्र शासन घोषणा करें। आयुक्त, नगर निगम, भोपाल, धार तथा पीथमपुर भी शपथपत्र प्रस्तुत करें कि उस क्षेत्र के लोगों को नुकसान नहीं होगा।

नागरिकों के जीवन के अधिकार का संरक्षण होना चाहिए

प्रदेश सरकार कचरे के निस्तारण पर वैज्ञानिक रिपोर्ट अखबारों में प्रकाशित कर उसे सार्वजनिक करें। अधिवक्ता प्रभात यादव ने याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया कि नागरिकों के जीवन के अधिकारों का संरक्षण होना चाहिए, इसकी गारंटी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदान की गई है।

ये भी पढ़ें :  उत्तरी हवाओं के असर से मध्यप्रदेश में सर्दी बढ़ी, कई शहरों में रात का टेम्प्रेचर 15 डिग्री के नीचे आ गया

कचरे के जलने पर लगा ब्रेक, जानिए पूरे मामले की A to Z…

भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड का कचरा पीथमपुर में जलाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने फिलहाल इस पर ब्रेक लगा दिया है। सीएम मोहन यादव ने शुक्रवार रात इमरजेंसी बैठक में कहा कि, हाईकोर्ट के सामने सभी परिस्थितियों और व्यावहारिक कठिनाइयों को रखेंगे। कोर्ट का आदेश आने तक यूनियन कार्बाइड का कचरा नहीं जलाया जाएगा। आइये जानते हैं यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने से लेकर इसे रोकने तक की A to Z कहानी…।

दरअसल, साल 2004 में उच्च न्यायालय जबलपुर (Jabalpur High Court ) में आलोक प्रताप सिंह ने जनहित याचिका दायर की। इस याचिका में उच्च न्यायालय से मांग की गयी कि यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन इंडिया लिमिटेड भोपाल परिसर (UCIL) में संग्रहित रासायनिक अपशिष्ट पदार्थों का विनिष्टीकरण किया जाये एवं उस पर होने वाले व्यय कि प्रतिपूर्ति यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन (यूसीसी)/ डॉउ केमिकल से किया जाये।

यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन लिमिटेड भोपाल परिसर (UCIL) में बिखरे रासायनिक पदार्थों को जून-2005 में एकत्रित कर एक सुरक्षित शेड में मध्यप्रदेश प्रदूषण निवारण बोर्ड की सुपरविजन में रखा गया।

जबलपुर हाई कोर्ट ने 16 दिसंबर 2008 को आदेश पारित कर निर्देश दिये गये कि विनिष्टीकरण की कार्यवाही राज्य शासन द्वारा समय सीमा 6 सप्ताह मे सुनिश्चित की जाये यदि कोई किसी प्रकार व्यवधान पैदा करता है तो अवमानना संबंधी कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी। गैस राहत विभाग एवं मध्यप्रदेश प्रदूषण निवारण मण्डल भोपाल द्वारा सीपीसीबी की गाइडलाइन का पालन करते हुए जून-2008 में लाइम स्लज 39.6 एमटी. को सीपीसीबी की गाइडलाइन अनुसार सफलतापूर्वक लैंडफिल टीएसडीएफ, पीथमपुर जिला-धार में किया गया।

समय-समय पर कोर्ट द्वारा दिये गये निर्देश

सर्वोच्च न्यायालय ने 4 मार्च 2013 को निर्देश दिये कि, 10 मेट्रिक टन हिन्दुस्तान इन्सेक्टीसाइड लिमिटेड प्लांट केरल राज्य में कोचिन से परिवहन कर टीएसडीएफ की पीथमपुर में ट्रायल रन की जाए-केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 2013 में सफलतापूर्वक ट्रायल किया।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल 2014 को निर्देश दिये गये 10 मेट्रिक टन यूनियन कार्बाइड टीएसडीएफ की पीथमपुर में ट्रायल रन की जाए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 2015 में सफलतापूर्वक ट्रायल किया गया।

जबलपुर उच्च न्यायालय 3 दिसंबर 2024 के आदेश में राज्य शासन एवं राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को केमिकल वेस्ट यूनियन कार्बाइड स्थल से पूर्व निर्धारित स्थल पर 4 सप्ताह के भीतर सुरक्षित परिवहन करने के निर्देश दिए गए।

ये भी पढ़ें :  मुख्यमंत्री ने भगवान धन्वंतरि की पूजा अर्चना कर प्रदेशवासियों के लिए माँगा आरोग्य का वरदान

विभाग ने की गई कार्यवाही

केन्द्रीय प्रदूषण निवारण मण्डल नई दिल्ली द्वारा शेष बचे 337 मेट्रिक टन रासायनिक यूसीआईएल वेस्ट के विनिष्टीकरण के लिए RFP 4 दिसंबर 2017 को तैयार कर सचिव, भारत सरकार, रसायन एवं पेट्रोरसायन की अध्यक्षता में आयोजित बैठक 5 दिसंबर 2017 को राज्य शासन को उपलब्ध कराया गया है।

केन्द्रीय प्रदूषण निवारण मण्डल से प्राप्त RFP का परीक्षण कर निविदा जारी करने के लिए निविदा प्रपत्र तैयार किया। इसके बाद यह काम करने के लिए संचालक गैस राहत एवं पुनर्वास की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय समिति का गठन किया गया।

23 सितम्बर 2021 को निविदा प्रकाशित की गयी जिसमें दो निविदाकारों मेसर्स पीथमपुर इण्डस्ट्रीयल वेस्ट मैनेजमेंट प्राईवेट लिमिटेड, पीथमपुर जिला-धार म.प्र. एवं मेसर्स सेन्चुरी ईको सोल्यूशन प्राईवेट लिमिटेड, बैंगलुरु, कर्नाटक द्वारा निविदा प्रस्तुत की गयी। इस कार्य के लिए पीथमपुर कम्पनी की निविदा उपयुक्त पाई गई।

विभाग द्वारा कार्रवाई से पता चला कि, भोपाल में लगभग 358 टन यूनियन कार्बाइड का कचरा निकला है। इसमें 60% से ज्यादा केवल स्थानीय मिट्टी है एवं लगभग 40% सेवन नेपथॉल, रिएक्टररेसीड्यूस और समी प्रोसेस पेस्टीसाइड्स का अपशिष्ट है। सेवन नेपथॉल रेसीड्यूस मूलतः मिथाइल आइसो साइनेट एवं कीटनाशकों के बनने की प्रक्रिया का सह-उत्पाद होता है। इसका जहरीलापन 25 साल में लगभग पूर्तः समाप्त हो जाता है। स्पष्ट है कि घटना को 40 साल बीत चुके हैं, इसलिए बचे हुए कचरे में कोई हानिकारक तत्व नहीं है।

विभाग ने बताया कि, कचरे की निपटान की प्रक्रिया का गहन परीक्षण किया गया होगा। भारत सरकार की विभन्न संस्थाए जैसे-नीरी (नेशनल इन् वॉयरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीटयूट), नागपुर, NGRI (नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीटयूट) हैदराबाद, IICT (इंडीयन इंडीयन इंस्टीटयूट ऑफ केमीकल टेक्नोलॉजी) तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा समय-समय पर किए गए अध्ययन और सर्वोच्च न्यायालय को प्रस्तुत प्रतिवेदनों के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय ने भारत सरकार पर्यावरण मंत्रालय को मार्च 2013 में निर्देश दिए गए कि केरल राज्य में कोच्चि स्थित हिन्दुस्तान इनसेक्टीसाइड लिमिटेड, कोच्चि के 10 टन यूनियन कार्बाइट के समान कचरे का परिवहन कर पीथमपुर स्थित TSDF में ट्रायल रन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में किया जाए। इसके अनुसार सफलतापूर्वक ट्रायल रन किया और सर्वोच्च न्यायालय में प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिवेदन के निष्कर्ष के आधार पर अप्रैल 2014 में यूसीआईएल कचरे का 10 मीट्रिक टन ट्रायल रन भारत सरकार, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली की निगरानी में पीथमपुर में किया जाये। इस दौरान विडियोग्राफी किया जाना सुनिश्चित किया जाये और उसके विश्लेषण निष्कर्ष को शपथपत्र के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया जाये।

ये भी पढ़ें :  उप मुख्यमंत्री शुक्ल से ट्रिवीट्रॉन हेल्थकेयर के प्रतिनिधि मंडल ने की सौजन्य भेंट

अगस्त 2015 में ट्रायल रन सफलतापूर्वक करने के बाद केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रायोगिक निपटान की रिपोर्ट्स उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत की गई। इन रिपोर्ट में ये सामने आया कि इस प्रकार के कचरे के निपटान से वातावरण कोई नुकसान होना स्पष्ट नहीं हुआ है। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने सभी रिपोर्ट के गहन परीक्षण के बाद ही कार्यवाही को आगे बढ़ाने एवं उन्हें नष्ट करने लिये निर्देशित किया।

इसके बाद मुख्य सचिव द्वारा विस्तुत रूप से तीन बिंदुओं पर जांच कराई 1. आसपास के गांव में स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण, 2. फसल की उत्पादकता पर प्रभाव, 3. क्षेत्रीय जल स्त्रोतो की गुणवत्ता का परीक्षण कराया गया और यह पाया गया कि इसके कोई भी नकारात्मक परिणाम नहीं हुए है। कचरे की निष्पादन की प्रक्रिया की सतत निगरानी में की जायेगी। सभी टीमें जैसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मध्यप्रदेश प्रदूषण नियत्रण बोर्ड मौजूद रहेंगे और इनकी रिपोर्ट शासन को प्रस्तुत की जायेगी।

पीथमपुर में कचरा जलाने का विरोध

जहरीला कचरा पीथमपुर में जलाने के खिलाफ स्थानीय निवासियों ने प्रदर्शन किया है। इस दौरान ग्रामीणों ने पुलिस पर और रामकी कंपनी पर पथराव भी किया। पुलिस ने भीड़ पर काबू पाने के लिए लाठीचार्ज के साथ आसूं गैस का प्रयोग किया है। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में बताई जा रही है।

सरकार ने कचरा जलाने पर लगाया ब्रेक

पीथमपुर में हो रहे प्रदर्शन को देखेत हुए सीएम मोहन यादव ने शुक्रवार देर रात आपातकाल बैठक की। इस बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि,हमारी सरकार ने पीथमपुर घटना के बारे में संज्ञान लिया है। हमारी सरकार जनकल्याणकारी, जनहितैषी तथा जनभावनाओं का आदर करती है। उच्च न्यायालय के आदेश के पालन में यूनियन कार्बाइड के कचरे का परिवहन पीथमपुर में किया गया है।

जनभावनाओं का आदर करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष समस्त परिस्थितियों एवं व्यावहारिक कठिनाइयों से अवगत कराया जाएगा। मैं जनता से अपील करता हूं कि किसी भी अफवाह या भ्रम की खबरों पर विश्वास नहीं करें। मैं और मेरी सरकार आपके साथ है।

Share

क्लिक करके इन्हें भी पढ़ें

Leave a Comment